FirstReporter

Jun 12 2023, 10:10

श्री श्री रविशंकर

मृत्यु निश्चित है -याद रखने से तुम वर्तमान क्षण में सजीव रहते हो और राग द्वेष से मुक्त हो जाते हो - गुरुदेव



FirstReporter

Jun 11 2023, 18:38

अमरनाथ गुफा की खोज

अमरनाथ गुफा की खोज -: उनका जब जन्म भी नहीं हुआ था, तब से अमरनाथ गुफा में हो रही है पूजा-अर्चना इसलिए इस झूठ को नकारिए कि अमरनाथ गुफा की खोज एक मुसलिम ने की थी। सेक्युलरिज्म वालों ने गलत इतिहास की व्याख्या शुरू कर दी है कि इस गुफा को 1850 में एक मुसलिम बूटा मलिक ने खोजा था। जबकि इतिहास में दर्ज है कि जब इसलाम इस धरती पर मौजूद भी नहीं था तब से अमरनाथ की गुफा में सनातन संस्कृति के अनुयायी बाबा बर्फानी की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर 3888 मीटर की उंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा को तो भारतीय पुरातत्व विभाग ही 5 हजार वर्ष प्राचीन मानता है। यानी महाभारत काल से इस गुफा की मौजूदगी खुद भारतीय एजेंसियों मानती हैं।

‘राजतरंगिणी’ में अमरनाथ:

कश्मीर में हुए राजवंशों का इतिहास कल्हण ने राजतरंगिणी में लिखा है। राजतरंगिणी बारहवीं शताब्दी की रचना है। संस्कृत के विद्वान एस पी पंडित के अनुसार कल्हण की राजतरंगिणी ऐसी रचना है जिसे प्रामाणिक ‘इतिहास’ कहा जा सकता है। राजतरंगिणी की प्रथम तरंग के 267वें श्लोक में अमरनाथ यात्रा का उल्लेख है की कश्मीर के राजा सामदीमत शैव थे और वह पहलगाम के वनों में स्थित बर्फ के शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने जाते थे। ग्रंथ में अन्यत्र भी कल्हण भगवान शिव के अमरनाथ स्वरूप को अमरेश्वर के नाम से संबोधित करते हैं।

ज्ञात हो कि बर्फ का शिवलिंग अमरनाथ को छोड़कर और कहीं नहीं है। यानी वामपंथी, जिस 1850 में अमरनाथ गुफा को खोजे जाने का कुतर्क गढ़ते हैं, इससे कई शताब्दी पूर्व कश्मीर के राजा खुद बाबा बर्फानी की पूजा कर रहे थे।



लमत पुराण और बृंगेश संहिता में अमरनाथ:

नीलमत पुराण, बृंगेश संहिता में भी अमरनाथ तीर्थ का बारंबार उल्लेख मिलता है। बृंगेश संहिता में लिखा है कि अमरनाथ की गुफा की ओर जाते समय अनंतनया (अनंतनाग), माच भवन (मट्टन), गणेशबल (गणेशपुर), मामलेश्वर (मामल), चंदनवाड़ी, सुशरामनगर (शेषनाग), पंचतरंगिरी (पंचतरणी) और अमरावती में यात्री धार्मिक अनुष्ठान करते थे। वहीं छठी में लिखे गये नीलमत पुराण में अमरनाथ यात्रा का स्पष्ट उल्लेख है। नीलमत पुराण में कश्मीर के इतिहास, भूगोल, लोककथाओं, धार्मिक अनुष्ठानों की विस्तृत रूप में जानकारी उपलब्ध है। नीलमत पुराण में अमरेश्वरा के बारे में दिए गये वर्णन से पता चलता है कि छठी शताब्दी में लोग अमरनाथ यात्रा किया करते थे। कल्हण की राजतरंगिणी द्वितीय, में कश्मीर के शासक सामदीमत 34 ई.पू से 17 वीं ईस्वी और उनके बाबा बर्फानी के भक्त होने का उल्लेख है।

यही नहीं, जिस बूटा मलिक को 1850 में अमरनाथ गुफा का खोजकर्ता साबित किया जाता है, उससे करीब 400 साल पूर्व कश्मीर में बादशाह जैनुलबुद्दीन का शासन 1420-70 था। उसने भी अमरनाथ की यात्रा की थी। इतिहासकार जोनराज ने इसका उल्लेख किया है। 16 वीं शताब्दी में मुगल बादशाह अकबर के समय के इतिहासकार अबुल फजल ने अपनी पुस्तक ‘आईने-अकबरी’ में में अमरनाथ का जिक्र एक पवित्र हिंदू तीर्थस्थल के रूप में किया है। ‘आईने-अकबरी’ में लिखा है- गुफा में बर्फ का एक बुलबुला बनता है। यह थोड़ा-थोड़ा करके 15 दिन तक रोजाना बढ़ता है और यह दो गज से अधिक उंचा हो जाता है। चंद्रमा के घटने के साथ-साथ वह भी घटना शुरू हो जाता है और जब चांद लुप्त हो जाता है तो शिवलिंग भी विलुप्त हो जाता है।

वास्तव में कश्मीर घाटी पर विदेशी इस्लामी आक्रांता के हमले के बाद हिंदुओं को कश्मीर छोड़कर भागना पड़ा। इसके बारण 14 वीं शताब्दी के मध्य से करीब 300 साल तक यह यात्रा बाधित रही। यह यात्रा फिर से 1872 में आरंभ हुई। इसी अवसर का लाभ उठाकर कुछ इतिहासकारों ने बूटा मलिक को 1850 में अमरनाथ गुफा का खोजक साबित कर दिया और इसे लगभग मान्यता के रूप में स्थापित कर दिया। बूटा मलिक को लेकर एक कहानी बुन दी गई कि उसे एक साधु मिला। साधु ने बूटा को कोयले से भरा एक थैला दिया। घर पहुंच कर बूटा ने जब थैला खोला तो उसमें उसने चमकता हुआ हीरा था। वह हीरा लौटाने या धन्यवाद देने जब उस साधु के पास पहुंचा तो वहां साधु नहीं था, बल्कि सामने अमरनाथ का गुफा था।

आज भी अमरनाथ में जो चढ़ावा चढ़ाया जाता है उसका एक भाग बूटा मलिक के परिवार को दिया जाता है। झूठ के बल पर इसे दशक-दर-दशक स्थापित करने का यह जो प्रयास किया गया है, उसमें बहुत हद तक इन लोगों को सफलता मिल चुकी है। आज भी किसी हिंदू से पूछिए, वह नीलमत पुराण का नाम नहीं बताएगा, लेकिन एक मुसलिम गरेडि़ए ने अमरनाथ गुफा की खोज की, तुरंत इस फर्जी इतिहास पर बात करने लगेगा। यही फेक विमर्श का प्रभाव होता है, जिसमें ब्रिटिश इतिहासकार सफल रहे हैं।

Credit Shri Aacharya Ji

FirstReporter

Jun 09 2023, 11:23

Sri Sri Ravishankar Says .....श्री श्री रविशंकर कहते हैं.....

Marriage is an institution of patience, sacrifice, caring for each other, and sharing. The hallmarks of a happy marriage are a sense of commitment, co-operation, compassion, caring and less ego.

विवाह धैर्य, त्याग, एक दूसरे की देखभाल करने और साझा करने की संस्था है। एक खुशहाल विवाह की पहचान प्रतिबद्धता, सहयोग, करुणा, देखभाल और कम अहंकार की भावना है।

Pujya #Gurudev Ji

FirstReporter

Feb 26 2023, 21:51

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत सिंह मान पहुंचे डिप्टी सीएम के घर

 दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को कथित शराब घोटाला मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। मनीष सिसोदिया को आठ घंटे की पूछताछ के बाद CBI ने गिरफ्तार किया है। 

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपनी पत्नी सुनीता केजरीवाल के साथ डिप्टी सीएम के घर पहुंचे।

इसी बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर पहुंचे और उनके परिवार से मुलाकात की। 

परिजनों से मुलाकात से पहले सीएम केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर ट्वीट किया। उन्होंने कहा- “मनीष बेकसूर है, उनकी गिरफ़्तारी गंदी राजनीति है। मनीष की गिरफ़्तारी से लोगों में बहुत रोष है। लोग सब देख रहे हैं। लोगों को सब समझ आ रहा है। लोग इसका जवाब देंगे। इस से हमारे हौसले और बढ़ेंगे। हमारा संघर्ष और मज़बूत होगा।”

इससे पहले दिल्ली शराब घोटाला केस में मनीष सिसोदिया की गिरफ़्तारी के बाद आम आदमी पार्टी ने कार्रवाई को भाजपा की तानाशाही करार दिया। आतिशी सिंह ने कहा- “भाजपा आम आदमी पार्टी, अरविंद केजरीवल और मनीष सिसोदिया की लगातार बढ़ती लोकप्रियता से डरी हुई है। यही वजह है कि झूठा आरोप लगाकर केंद्रीय एजेंसियों के जरिए गिरफ़्तारी कारवाई गई।” 

प्रेस कॉन्फ्रेंस में आप नेता आतिशी सिंह ने कहा- "सीबीआई और पांच सौ अफसर लगाने के बाद भी ये प्रमाण नहीं रख पाई कि मनीष सिसोदिया ने एक रुपये का भी भ्रष्टाचार (दिल्ली शराब घोटाले में) किया है। आज मनीष की गिरफ़्तारी किसी पॉलिसी, किसी जांच की वजह से नहीं हुई है। आज मनीष की गिरफ़्तारी आम आदमी और केजरीवाल की बढ़ती लोकप्रियता की वजह से हुई।"